निदेशक का संदेश |
|
एक सशक्त अर्थव्यवस्था, मानव संसाधन, सॉफ्ट पावर, बढ़ते वैश्विक प्रभाव और एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की वेदांत भावना के साथ एक आत्मविश्वासी भारत अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। भारत का चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरना, जहां पहले कोई भी देश नहीं पहुंच सका है, देश के आत्मविश्वास और आकांक्षाओं को नई बुलंदियों पर पहुंचा रहा है। 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की राह पर ले जाने के लिए हमें नई क्षमताओं और शासन प्रतिमानों की आवश्यकता होगी। इसके लिए, उच्च सिविल सेवाओं को कड़ी मेहनत करनी होगी, प्रगति में शामिल होना होगा, और प्रेरक नेतृत्व प्रदान करना होगा। भारत इंटरनेट-आधारित प्रौद्योगिकी के माध्यम से लगातार प्रगति कर रहा है जिससे हम वित्तीय समावेशन, निर्बाध संचार सुविधाएं, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, वैश्विक मान्यता और आपदाओं के प्रति प्रतिक्रिया की दृष्टि से सक्षम हुए हैं। आज हम 5वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं। अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है। हालाँकि, पिछले दो दशकों में पर्यावरणीय और सामाजिक चिंताएं व्यवसायों के समक्ष मुख्य पक्ष बन गए हैं। हम बदलती जलवायु, जैव विविधता की हानि और प्रदूषित शहरी पर्यावरण जैसे बढ़ते पर्यावरणीय संकटों के प्रति सचेत हैं, जो मानव और प्राकृतिक प्रणालियों में व्यापक व्यवधान पैदा करने की क्षमता रखते हैं। इसके महत्व को स्वीकार करते हुए, पर्यावरण बहाली अब आर्थिक विकास की चर्चाओं में केंद्रीय महत्व का विषय बन चुका है और राष्ट्रीय एवं स्थानीय सरकारें अब इस चुनौती का सामना करने का मन बना चुकी हैं। अंतत:, आर्थिक विकास के लिए भलीभांति संरक्षित और उत्पादक प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र आवश्यक है। देश में सार्वजनिक भूमि का सर्वाधिक क्षेत्र वन क्षेत्र है। सफल वनों और वन्यजीव संरक्षण के लाभ को समेकित करते हुए, इस क्षेत्र में प्रबंधकीय आवश्यकताओं को एक विकसित अर्थव्यवस्था और नागरिक-केंद्रित शासन के अनुरूप बनाया जा रहा है। आईजीएनएफए में प्रशिक्षणरत भारतीय वन सेवा अधिकारियों की अगली पीढ़ी को मेरी शुभकामनाएं। हम में वो है जो सफल होने के लिए चाहिए |
निदेशक |