शिवालिक और हिमालय के बीच की सुरम्य दून घाटी, हरे भरे वनों और चमकीली धाराओं से घिरी हुई है, जो अपने आप में प्रकृति के अनुपम रूप का प्रतीक है। गुरु द्रोणाचार्य और पौराणिक एकलव्य का यह ऐतिहासिक नगर शिक्षा-वेदी पर एक समर्पित शिष्य के सर्वोच्च बलिदान की गाथा प्रस्तुत करता है। संयोगवश वानिकी प्रशिक्षण का शीर्ष संस्थाान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, इसी ऐतिहासिक नगर में स्थित है।

देहरादून भारत के मैदानों में स्थित अधिकांश शहरों के विपरीत प्रकृति का है। पारंपरिक रूप से इसे सेवानिवृत्त सज्जनों और उन लोगों का शहर माना जाता रहा है जो हिमालय के साथ-साथ वनाच्छाकदित मैदानों के करीब रहना चाहते हैं। आईजीएनएफए के अतिरिक्त यहां देश के कई अन्य प्रमुख संस्थान भी हैं। इनमें भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), भारतीय सर्वेक्षण, वन अनुसंधान संस्थान, ऑयल एंड नेचुरल गैस कार्पोरेशनलिमिटेड, भारतीय वन सर्वेक्षण, भारतीय वन्यजीव संस्थान आदि शामिल हैं। इन संस्थानों की मौजूदगी इस नगर को एक अनूठी संस्कृति और पहचान देते हैं। पिछले कुछ दशकों के दौरान हुए परिवर्तनों से देहरादून भी अछूता नहीं रहा है। यह अब सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों का धीमी गति से चलने वाला शहर नहीं रहा है। आज यह उत्ताराखंड राज्य की राजधानी है, जो तेजी से दौड़ते जीवन और बदलावों की ओर अग्रसर है।

अकादमी देहरादून नगर से 5 किमी. पश्चिम में न्यू फॉरेस्ट परिसर में स्थित है। विश्व प्रसिद्ध वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) भी इसी परिसर में ‍स्थित है। 1100 एकड़ में फैले इस परिसर के उत्तर में टौंस नदी और दक्षिण में चकराता रोड है। परिसर का एक बड़ा भाग प्राकृतिक वन और घने प्रायोगिक वृक्षारोपण से आच्छादित है। समुद्र तल से 670 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस परिसर में प्रतिवर्ष 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। देहरादून शहर से चकराता रोड होते हुए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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अकादमी के छात्रावास, अतिथि गृह, सभागार तथा मैदान भी इसी परिसर में स्थित हैं जबकि अकादमी का आवासीय परिसर न्यू फॉरेस्टा परिसर के सामने चकराता रोड पर स्थित है।